चकला लक्ष्मीरामपुर गाँव से निकला 54 फीट लंबा कांवड़ – पहली झलक।

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भारत में भगवान शिव की भक्ति सबसे बड़ी आस्था मानी जाती है। सावन और श्रावण मास के समय भक्तजन दूर-दूर से कांवड़ लेकर जलाभिषेक करने जाते हैं। इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए इस बार चकला लक्ष्मीरामपुर गाँव ने इतिहास रच दिया। यहाँ से पहली बार 54 फीट लंबा भव्य कांवड़ निकाला गया, जिसने पूरे क्षेत्र में आस्था और श्रद्धा का माहौल बना दिया।


पहली बार का आयोजन :


चकला लक्ष्मीरामपुर गाँव में पहले कभी इतना बड़ा आयोजन नहीं हुआ था। इस साल गाँव के युवाओं और बुजुर्गों ने मिलकर यह संकल्प लिया कि भोलेनाथ को एक ऐसा कांवड़ अर्पित किया जाएगा जो पूरे इलाके में सबसे बड़ा और सबसे विशेष हो। यही कारण है कि पहली बार गाँव से 54 फीट लंबा कांवड़ यात्रा के रूप में निकला।



कांवड़ का महत्व : Chakla Lakshmirampur


साधारण कांवड़ की लंबाई जहाँ कुछ फीट ही होती है, वहीं यह 54 फीट लंबा कांवड़ पूरे गाँव की भक्ति, परिश्रम और एकजुटता का प्रतीक बन गया। भक्तों का विश्वास है कि इस भव्य आयोजन से भोलेनाथ प्रसन्न होंगे और गाँव पर सदैव कृपा बनाए रखेंगे।


यह 54 फीट लंबा कांवड़ सिर्फ़ भगवान शिव की आराधना नहीं है। यह पूरे गाँव के लिए एकता, भाईचारे और सहयोग का संदेश है। इस आयोजन ने आने वाली पीढ़ियों को यह प्रेरणा दी कि अगर गाँव एकजुट होकर काम करे, तो कोई भी सपना पूरा किया जा सकता है।


सजावट और आकर्षण :


कांवड़ को फूलों, कपड़ों और रंग-बिरंगे झंडों से सजाया गया।दिन में यह रंगीन कपड़ों और फूलों से बेहद खूबसूरत दिखाई देता था।रात में बिजली की लाइटों से यह पूरा चमक उठा और दूर से ही लोगों का ध्यान खींच रहा था। 54 फीट लंबा यह कांवड़ जब भक्तों के कंधे पर उठा, तो देखने वाले हर व्यक्ति की आँखों में श्रद्धा और गर्व की चमक थी।


Conclusion:


चकला लक्ष्मीरामपुर पंचायत से पहली बार निकला 54 फीट लंबा कांवड़ आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बन जाएगा। यह आयोजन सिर्फ़ धार्मिक यात्रा नहीं रहा, बल्कि गाँव की पहचान और श्रद्धा का प्रतीक बन गया। आने वाले वर्षों में यह परंपरा और भी भव्य रूप लेगी।

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