रक्षाबंधन:

परिचय और सामान्य जानकारी

रक्षाबंधन शब्द दो संस्कृत शब्दों से मिलकर बना है — ‘रक्षा’ जिसका अर्थ है सुरक्षा, और ‘बंधन’ जिसका अर्थ है डोर या बंधन। यह त्योहार भाई और बहन के बीच प्यार, स्नेह और संरक्षण के वचन का प्रतीक है।
इस दिन बहन अपने भाई की कलाई पर राखी नामक पवित्र धागा बांधती है, और भाई उसकी रक्षा का संकल्प लेता है।


यह त्योहार कब और क्यों मनाया जाता है

रक्षाबंधन हर वर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार यह समय सावन का अंतिम दिन होता है, जो सुख-समृद्धि और नई शुरुआत का प्रतीक माना जाता है।
मान्यता है कि इस दिन राखी बांधने से भाई-बहन का रिश्ता और मजबूत होता है, और भगवान से आशीर्वाद प्राप्त होता है।

भारतीय संस्कृति में भाई-बहन का रिश्ता सिर्फ खून का संबंध नहीं, बल्कि विश्वास, सम्मान और भावनाओं का बंधन है। रक्षाबंधन इसी रिश्ते को मजबूत करने का विशेष अवसर है।


रक्षाबंधन का इतिहास :

पौराणिक कथाएं

1. महाभारत की कथा
महाभारत के अनुसार, एक बार श्रीकृष्ण की उंगली से रक्त बहने लगा। यह देखकर द्रौपदी ने अपनी साड़ी का टुकड़ा फाड़कर उनकी उंगली पर बांध दिया। श्रीकृष्ण ने इसे रक्षा-सूत्र मानते हुए वचन दिया कि वे जीवनभर उनकी रक्षा करेंगे।
कुरुक्षेत्र युद्ध के समय, जब द्रौपदी का चीरहरण हुआ, श्रीकृष्ण ने उसी वचन को निभाते हुए उनका सम्मान बचाया।


2. राजा बलि और वामन अवतार
भगवान विष्णु ने वामन रूप में राजा बलि से तीन पग भूमि मांगी। वचन निभाने के बाद भगवान विष्णु पाताल लोक में रहने लगे। लक्ष्मी जी ने बलि के हाथ पर रक्षा-सूत्र बांधकर भगवान विष्णु को अपने साथ लाने का अनुरोध किया। तभी से रक्षा-सूत्र का महत्व और बढ़ गया।


3. देव-दानव युद्ध की कथा
एक बार देवताओं और दानवों में भयंकर युद्ध हुआ। इंद्राणी ने इंद्रदेव की कलाई पर रक्षा-सूत्र बांधा, जिससे उन्हें विजय प्राप्त हुई।


ऐतिहासिक प्रसंग

1. रानी कर्णावती और हुमायूँ
राजस्थान की रानी कर्णावती ने मुगल सम्राट हुमायूँ को राखी भेजकर अपने राज्य की रक्षा का अनुरोध किया। हुमायूँ ने इसे सम्मानपूर्वक स्वीकार किया और उनकी रक्षा की।


2. अलेक्जेंडर और पोरस
एक लोककथा के अनुसार, सिकंदर की पत्नी ने राजा पोरस को राखी बांधकर अपने पति की सुरक्षा का वचन लिया, जिसके बाद युद्ध में पोरस ने सिकंदर को बख्श दिया।



 रक्षाबंधन का सांस्कृतिक महत्व

भाई-बहन के रिश्ते की मजबूती

रक्षाबंधन भाई-बहन के रिश्ते को न केवल भावनात्मक रूप से मजबूत करता है, बल्कि इसमें कर्तव्य और सुरक्षा का भाव भी जोड़ता है।

सामाजिक एकता का प्रतीक

यह त्योहार जाति, धर्म और भाषा से परे जाकर लोगों में एकता और भाईचारे का संदेश देता है।

भारतीय परिवार व्यवस्था में योगदान

भारतीय संस्कृति में संयुक्त परिवार का महत्व है। रक्षाबंधन इन पारिवारिक मूल्यों को बनाए रखने में मदद करता है।

महिला सशक्तिकरण का संदेश

राखी सिर्फ भाई को बहन की रक्षा का वचन नहीं देती, बल्कि बहन को यह विश्वास भी दिलाती है कि वह अकेली नहीं है।

धार्मिक दृष्टिकोण

हिंदू धर्म में रक्षाबंधन का महत्व

हिंदू धर्म में रक्षाबंधन को अत्यंत शुभ माना गया है। यह त्योहार श्रावण पूर्णिमा के दिन आता है, जो भगवान शिव, विष्णु और हनुमान की पूजा के लिए भी पवित्र मानी जाती है।

कई जगह इस दिन गंगा स्नान और विशेष पूजा का आयोजन होता है।

भाई की लंबी उम्र और समृद्धि के लिए बहनें व्रत रखती हैं।

पंडित लोग भी इस दिन अपने यजमानों को रक्षा-सूत्र बांधते हैं, जिसे "यज्ञोपवीत" या "जनेऊ बदलना" भी कहा जाता है।


जैन धर्म में महत्व

जैन धर्म में रक्षाबंधन को “श्रावणी” पर्व कहा जाता है। इस दिन साधु-संत अपने अनुयायियों की रक्षा के लिए उन्हें पवित्र धागा बांधते हैं और धर्म पालन का संकल्प दिलाते हैं।


सिख धर्म में रक्षा बंधन

सिख धर्म में गुरु गोविंद सिंह जी ने ‘खालसा पंथ’ की स्थापना के समय भाईचारे और सुरक्षा का संदेश दिया। पंजाब और हरियाणा के कई सिख परिवार आज भी राखी को प्रेम और एकता का प्रतीक मानते हैं।

 रक्षाबंधन की रस्में और परंपराएं

त्योहार की तैयारी

रक्षाबंधन से एक-दो दिन पहले बाजारों में राखियों, मिठाइयों और उपहारों की रौनक बढ़ जाती है।

महिलाएं रंग-बिरंगी राखियां खरीदती हैं और पूजा की थाली सजाती हैं।


पूजा और राखी बांधने की विधि

1. सुबह स्नान करके स्वच्छ कपड़े पहनें।
2. पूजा की थाली में राखी, रोली, चावल, दीपक, मिठाई रखें।
3. भगवान गणेश और श्रीकृष्ण की पूजा करें।
4. भाई की आरती उतारें और तिलक लगाएं।
5. राखी बांधकर मिठाई खिलाएं।
6. भाई उपहार और सुरक्षा का वचन दे।


उपहार देने की परंपरा

पहले उपहार सिर्फ आशीर्वाद या पैसे होते थे, लेकिन अब इसमें कपड़े, गहने, इलेक्ट्रॉनिक्स, गिफ्ट कार्ड भी शामिल हो गए हैं।
कई भाई बहनों को यात्रा, किताबें या शिक्षा से जुड़े गिफ्ट भी देते हैं।


क्षेत्रीय विविधताएं

उत्तर भारत में रक्षाबंधन

उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश और राजस्थान में रक्षाबंधन बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।

यहाँ भाई-बहन के रिश्ते के साथ-साथ कजिन और परिवार के दूसरे रिश्तों में भी राखी बांधी जाती है।


दक्षिण भारत में अवनि अवित्तम

तमिलनाडु, केरल और आंध्र प्रदेश में इसे अवनि अवित्तम या उपाकर्म कहा जाता है।

इस दिन ब्राह्मण लोग नया यज्ञोपवीत धारण करते हैं और वेद मंत्रों का उच्चारण करते हैं।

महाराष्ट्र का नारियल पूजन

महाराष्ट्र में इसे नारळी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है।

मछुआरे समुद्र में नारियल चढ़ाकर समुद्र देवता से सुरक्षा की प्रार्थना करते हैं।

नेपाल में जनई पूर्णिमा

नेपाल में इसे जनई पूर्णिमा कहते हैं।

इस दिन ब्राह्मण नया जनई (जनेऊ) धारण करते हैं और परिवारजन एक-दूसरे को रक्षा-सूत्र बांधते हैं।